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औधि आधी रात की दै आपनो बतायो गेह / रघुनाथ

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औधि आधी रात की दै आपनो बतायो गेह ,
देखि अभिलाष मिलिबे को सुखदायके ।
भूमि मे ही कैयो डारि तोसक बिछौना कीन्हेँ ,
आस पास धर दीन्हेँ चौसर बनाय के ।
पानी पान अतर नजीक सब राखे लाय ,
गूजरेटी रघुनाथ औरौ चित चाय के ।
खोलि राखी खिरकी बुझाइ राखे दीप द्वार ,
लाइ राखे नैन कान आहट मेँ पाय के ।


रघुनाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।