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औनलैन दुन्या / सुधीर बर्त्वाल
Kavita Kosh से
पाटी बोळ्ख्या
रिंगाळ, कलम
छोड़ी।
आज हमुन कम्प्यूटर
पकड़्यालि।
सजिला- असजिला
मुबैल पकड़ी
सैरि दुन्या ओनलैन
ह्वै ग्याई।
पर
जिकुड़ा का भितर
हमारि जु अपणास छै
जणि कख ?
औफलैन चली ग्याई।