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औरत-12 / चंद्र रेखा ढडवाल

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(औरत -बारह)

स्वर्ग तलाशते
रोज़-रोज़
सिरजती है नर्क
देखती है नर्क
भोगती है नर्क
सिरजे हुए को देखे हुए
भोगे हुए को
नकारने की
सफल कोशिश में
हँसती है
विफलता पर कुढ़ती है औरत