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औरत और घर / संध्या रंगारी
Kavita Kosh से
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औरत
पहली प्राथमिकता
घर को देती है
घर सुरक्षित रहता है
औरत
ध्वस्त होती जाती है ।
मूल मराठी से सूर्यनारायण रणसुभे द्वारा अनूदित