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औरत की ज़रूरत / शुभा
Kavita Kosh से
मुझे संरक्षण नहीं चाहिए
न पिता का न भाई का न माँ का
जो संरक्षण देते हुए मुझे
कुएँ में धकेलते हैं और
मेरे रोने पर तसल्ली देने आते हैं
हवाला देते हैं अपने प्रेम का
मुझे राज्य का संरक्षण भी नहीं चाहिए
जो एक रंगारंग कार्यक्रम में
मुझे डालता है और
भ्रष्ट करता है
मुझे चाहिए एक संगठन
जिसके पास तसल्ली न हो
जो एक रास्ता हो
कठोर लेकिन सादा
जो सच्चाई की तरह खुलते हुए
मुझे खड़ा कर दे मेरे रू-ब-रू
जहाँ आराम न हो लेकिन
जोख़िम अपनी ओर खींचते हों लगातार
जहाँ नतीजे तुरन्त न मिलें
लेकिन संघर्ष छिड़ते हों लम्बे
एक लम्बा रास्ता
एक गहरा जोख़िम
रास्ते की तरह खुलती
एक जटिल सच्चाई मुझे चाहिए ।