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औरत के जिनगी / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
औरत!
जब लरिकी बन क
रहे के चाहइअऽ-
त बने के परइअऽ ओकरा मेहरारू
जब मेहरारू बन क रहे के चाहइअऽ-
त बन के परइअऽ
ओकरा माई
जब माई बन क
रहे के चाहइअऽ-
त बना देल जाइअऽ
ओकरा सास
आउर ऊ
इहे रिश्ता में बदलइत-बदलइत
दम तोड़ देइअऽ
लेकिन तइयों
न समझ पबइअऽ-
कि ऊ कोन हुए?
पहिले त ऊ रहे
एगो छोट लरिकी
जेकरा जनम देलक
कोनो औरत
आऊर छोड़ देलक
ओकरो
इहे परम्परा के निभावेला
मानव-मूल्य के
स्थापित करेला।