जल नदी तट का, न नल का पी
पी सके दो घूँट— तल का पी
तिमिर डूबी हरी छाती
             भुरभुरी घाटी
और टूटी हुई
             फूटी हुई परिपाटी
रोशनी होगी— धुँधलका पी
ठोकरें इतिहास
             होने के लिए आकुल
खुल ज़रा-सा
             और गहरा और गहरा खुल
ठोकरों से न कर हल्का जी