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और नदी लौट गयी / कुमार रवींद्र

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पत्थर के महलों की बात हुई
                  और नदी लौट गयी
 
राजा के रथ गुज़रे
रह-रह पुल काँप गये
रेतीले घाटों पर
नहा रहे साँप नये
 
दिन भर ज़हरीली बरसात हुई
                   और नदी लौट गयी
 
चाँदी के सिक्कों में
पानी की धार बिकी
प्यास बढ़ी -
जली हुई साँसें
कुछ और सिंकीं
 
बेमौसम ख़ुशबू की मात हुई
                और नदी लौट गयी
 
अंधे गलियारों में
हिरण सभी कैद हुए
रोगी शहज़ादे भी
परजा के बैद हुए
 
सूरज के रहते ही रात हुई
                और नदी लौट गयी