और निनव में ऐसा / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल
हाँ ! मैं कवि हूँ मेरी समाधि पर
कन्याएँ, गुलाब की पत्तियाँ
और आदमी मेंहदी बिखेरेंगे, रात पहले
अपनी काली कृपाण से दिन को समाप्त करती है ।
देखो ! ये वस्तु न मुझे
न तुम्हें बाधा डालने को है,
रिवाज़ के लिए सब पुराना है,
और मैंने यहाँ निनव<ref>टाईग्रिस नदी के किनारे उत्तरी इराक में असीरिया की प्राचीन राजधानी।</ref> में देखा है
अनेक गायक मरते और होते हैं
उन अन्धेरे कमरों में कोई आदमी
उन की नीन्द या गीत को कष्ट नहीं देता है ।
अनेकों ने उन गीतों को
मेरी अपेक्षा कपट से, धूर्तात्मा मे गाया है,
और अनेक आगे बढ़ते तो हैं
उनके फूलों की हवा से मेरा यात्रा से थका-मान्दा-सौन्दर्य
फिर भी मैं कवि हूँ, और मेरी समाधि पर
तमाम लोग गुलाब की पत्तियाँ बिखेरेंगे
रात के पहले प्रकाश को
उसकी नीली कृपाण से समाप्त करो ।
’नहीं है राना कि मेरा गीत बहुत ऊपर बजता है
या किसी की अपेक्षा और मधुर-स्वर में
लेकिन मैं यहाँ कवि हूँ,
जो जीवन को तो पीता हूँ
जैसे छोटे लोग शराब को पीते हैं ।’
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल