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और मेरा दम घुट गया / विम्मी सदारंगाणी
Kavita Kosh से
मैंने तो
तुमसे कुछ भी नहीं पूछा
बस, सिमट गई तुम्हारी बाँहों में।
तुम्हारा कसता आलिंगन
मैंने तुम्हारा प्यार समझा।
पता ही नहीं चला
कब
मेरा दम घुट गया।
सिन्धी से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा