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कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें राजा राम सखी रे।
काये खों बिरजीं जानकी औ कायें खों राजा राम सखीरे।
कंकन न छोरें जानकी...
झूमर खों बिरजीं जानकी औ मुकुट खों राजा राम सखी रे।
कंकन न छोरें जानकी...
झुमकी खों बिरजीं जानकी औ कुण्डल खों राजा राम सखी रे।
कंकन न छोरें जानकी...
हार खों बिरजी जानकी औ कंठा कों राजा राम सखी रे। कंकन न छोरें जानकी...
कंगन कों बिरजी जानकी औ कड़ा कों राजा राम सखी रे।
लच्छा कों बिरजी जानकी औ तोड़ा कों राजा राम सखी रे।
कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें राजा राम सखी रे।