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कंघी / सूर्यकुमार पांडेय

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छोटी-सी कंघी है,
रंग- बिरंगी है ।

         छोटे-छोटे दाँत हैं,
         रखते हम साथ हैं ।

झाड़ती ये बाल है,
करती कमाल है ।

          जूँ की दुश्मन है,
           रूसी से अनबन है ।

शीशे से यारी है,
हम सबको प्यारी है ।

            सबकी ही साथी है,
            सबकी ही संगी है ।

छोटी-सी कंघी है,
रंग-बिरंगी है ।