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कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं / जहीर कुरैशी

Kavita Kosh से
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कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं
लोग जय-जयकार करना सीख जाते हैं

आज समझौतों के युग में सर्द अँगारे
बर्फ़-सा व्यवहार करना सीख जाते हैं

लोग अपने स्वार्थ, अपने लाभ की ख़ातिर
भेड़ियों से प्यार करना सीख जाते हैं

जो कमल के फूल पाना चाहते हैं -वे
कीच को स्वीकार करना सीख जाते हैं

लोग जिन डंडों से अपने सर बचाते हैं
लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं