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कंवळी-सी आस / रामस्वरूप किसान

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के बतावूं/रायल्टी पर
घर चलावूं

ईं सारू
घणी बेताबी सूं
डाकीयै नै उडीकूं

म्हारै तो
चीज बरतण रौ आदेस
डाकियौ ई ल्यावै

भौत बर/चा सारू
चूल्है उकळतौ पाणी
पाणी ई रैय ज्यावै

अर डाकियौ
भळै छोड़ ज्यावै
आठ पौर री
करड़ी उड़ीक में पळेट‘र
कंवळी-सी आस
म्हारै काळजे

म्हैं भळै
कागला उडावूं
के बतावूं/रायल्टी पर
घर चलावूं।