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कई दिनों से जारी लंबी बारिश / शुभेश कर्ण
Kavita Kosh से
कई दिनों से जारी लंबी बारिश
शाम अंततः खुल गई
पहले तो आसमान
थोड़ी देर तक
मटमैला बना रहा
फिर तारों से
गिझिर-मिंझिर भर गया
हँसुली के आकार का
वह पीला-सा परचट्ट चाँद
कई दिनों की
गहरी नींद सोकर उठा
और हड्डियाँ चटख़ाता
लड़खड़ाता शराबियों की तरह
कच्ची सड़क के किनारे
अछूतों की बस्ती से सटकर खड़े
कमर झुके बीसियों साल पुराने
एक ताड़ के कंधे पर चढ़कर
चमकने लगा।
दुनिया पहले की तरह ही
स्त्रियों, बच्चों, ठेलेवालों
भोटियावालों, व्यापारियों
पापियों, सायरनों
और मेंढकों की आवाजों से
धीरे-धीरे धूसर होनी शुरू हुई
कि अचानक बौछारें
फिर तेज़ हुईं
और सारा का सारा दृश्य
मिनटों में मिटता चला गया।