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कई लोग ऐसे मिलें इस जहां में / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
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कई लोग ऐसे मिलें इस जहां में
रहें हर घड़ी सातवें आसमां में
नहीं राज़ खुलना सबब फ़िक्र का है ,
सबब है भरोसा मेरा राज़दां में !
सुने सिर्फ़ ख़लवत कहे चश्म पुरनम ,
बहुत दर्द होता है उस दास्तां में !
उजालों ने जिनको जगाया न जानें ,
अँधेरों ने सीखा है क्या दरमियां में !
सुनो दर्द दिल का कहे जब ये ख़ुशबू ,
हवा आ कभी तो मेरे आशियां में !