मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कउनी<ref>कौन, किसने</ref> जलम देलन, फउनी करम लिखलन।
कउनी भइया अवलन<ref>आये</ref> लियामन<ref>लेने के लिए</ref> हो राम॥1॥
रामजी जलम देलन, बरमा<ref>ब्रह्मा</ref> जी करम लिखलन।
अहे अहे सखिया, जम<ref>यम, यमराज</ref> भइया, अवलन लियावन हो राम॥2॥
एस कोस गेली रामा, दुइ कोस गेली राम।
अहे अहे सखि हे, घुरि फिरि ताकी<ref>देखता रहा</ref> हक मंदिल हो राम॥3॥
येही तो मंदिलवा मोरा, बड़ी सुख मिलल हो।
सेहो मंदिलवा अगिया<ref>आग में</ref> धधकइ हो राम॥4॥
माता पिता रोबे लगलन, जड़ीबूटी देवन लगलन।
अहे अहे सखी हे, फिन<ref>फिर</ref> न मनुस चोला<ref>शरीर</ref> पायम<ref>पाऊँगा</ref> हो राम॥5॥
शब्दार्थ
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