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कओने गामे उपजल सखि पानक बिड़िया, हे आहे सखी / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कओने गामे उपजल सखि पानक बिड़िया, हे आहे सखी
नौरंग बिड़िया हे
कओने गामे उपजल डारि हे, दुलहा के निनियाँ घुरमल हे
फलां गामे उपजल सखि पानक बिड़िया हे, अपन गामे चतरल डारि हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
कओने छुरी कतरब आहे पानक बिड़िया हे, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
कओने छुरी कतरब डारि हे, आहे दुलहा के निनियां घुरमल हे
सोने छुरी कतरब सखि हे पानक बिड़िया, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
सोने छुरी कतरब डारि हे, आहे पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
सेहो पान खयलनि पंकज दुलहा हे, रंगि लेल बत्तिसो मुख दांत हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
हंसि हंसि पुछथिन कनियाँ सुहबे हे, कहमा रंगेलहुँ बत्तिसो दांत हे
तोहरो नैहरबा छनि मोर ससुररिया, सरहोजि रंगल बत्तिसो दांत हे