भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कक्षा एक की छात्रा / नासिर अहमद सिकंदर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कापी में लिखती अक्षर
पहला ही अक्षर ‘क’
नहीं बनता उससे ठीक-ठीक
‘स’ नहीं बनता सुडौल
‘ज्ञ’ ज्ञानी का तो बनता अजीब टेढ़ा
वर्तनी की भूलें भी खूब-खूब
कपड़े कौन सिलता
‘ज’ में लगाती छोटी ‘इ’ की मात्रा
अन्न कौन उगाता
‘क’ में बड़ी ‘ई’
गिनती में अस्सी के बाद
अटक-अटक चलती गाड़ी
सात के पहाड़े में तो
सŸो के बाद
सीधे सात दहाम सŸार में कूदती
गणित में नौ धन आठ का जोड़
वह उंगली के पोरों पर
जब गिनती एकाग्र
तो देखते बनता उसका चेहरा
फिर भी छूटता उससे एक पोर
और लिखती सोलह
माँ से डाँट खाती
पिता लाड़ करते
अंक भरते !