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कक्षा पहली के बच्चे / भास्कर चौधुरी

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पहली कक्षा के बच्चे
जैसे मछलीघर में मछ्लियाँ
नाम जिनके अनेक
अनेक आकृतियाँ
हरकतें अनेक –
कुछ मुड़तीं
मुड़तीं जैसे बिजलियाँ
कुछ शांत धीर गंभीर
खिसकती आहिस्ते बहुत आहिस्ते
आहिस्ते से जैसे
कान में कहती कुछ –
अपनी सहेली से
बाहर चलें बाहर
बाहर मछलीघर की चारदीवारी से
खुले आसमान के नीचे
बहती नदी हो जहाँ
या समुद्र कोई खुला –
जैसे पहली कक्षा के बच्चे
भींग रहे बारिश में या
बारिश की बूंदों को ले हथेलियों में
घूम रहे गोल-गोल –
घोर-घोर रानी
इत्ता-इत्ता पानी
ऐसी ही कोई जगह
जहाँ बच्चे पहली कक्षा के
पहने-पहने ही जूते
या पकड़े हाथों में
खाली पैरों से
उछलते एक-ब-एक
और करते हैं छईं-छपाक-छईं
स्कूल के बीचों बीच जहाँ
बच्चों की ही तरह
नन्हें से मासूम गड्ढे में
भरा हो ज़रा सा पानी
और बच्चे खिलखिला रहे हों
संग संग पानी भी
जाना चाहती हैं मछ्लियाँ
ऐसी ही कोई जगह...!