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कचरे का डब्बा / शरद चन्द्र गौड़
Kavita Kosh से
मेरे घर की पहचान
कचरे का डब्बा
मेरे घर का पता
कचरे के डब्बे वाली गली
मुझे नमस्ते करता
कचरे का डब्बा
दादी से रोज़ मिलता
बतियाता और आँखे दिखाता
कचरे का डब्बा
सोचता हूँ
कचरे का डब्बा ना होता तो
मामाजी को घर नहीं मिलता
जानवरों को ढोर नहीं मिलता
कचरे के डब्बे ने
लगाम लगा दी
तेज़ रफ़्तार से आने वाले
वाहनों पर
सामने आ खड़ा हुआ
सीना तान
कचरे का डब्बा
कचरे के डब्बे के
इतने फ़ायदे हैं
कि अब तो
उसकी बदबू भी भीनी खुशबू
लगती है
बेख़ौफ़
मोहल्ले के लड़के
सड़क पर खेलते हैं
क्योंकि
बेतरतीब फैले कचरे ने
रास्ता रोक
सड़क को मैदान बना दिया है
सफ़ाई को मुँह चिढ़ाता
कचरे का डब्बा
शहर के सौन्दर्यकरण
से ख़फ़ा
कचरे का डब्बा
मेरे घर की पहचान
कचरे का डब्बा