भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कच्ची पक्की कलियाँ हिलाया न करो / हिन्दी लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
कच्ची पक्की कलियाँ हिलाया न करो -२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
माथे बन्नी के बेंदी सोहे -२,
अँखियन में झलक दिखाया न करो -२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
कच्ची पक्की कलियाँ हिलाया न करो -२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
कानों बन्नी के कुण्डल सोहे -२
होंठों पे झलक दिखाया न करो-२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
कच्ची पक्की कलियाँ हिलाया न करो -२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
हाथ बन्नी के कंगन सोहे -२
मेंहदी में झलक दिखाया न करो-२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...
कच्ची पक्की कलियाँ हिलाया न करो -२
रोज़ रोज़ बन्ना तुम आया न करो...