भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कजकुलाही से न मतलब रेशमी शालों से है / ‘अना’ क़ासमी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कजकुलाही<ref> गर्व से टोपी को सीधा धारण करना</ref> से, न मतलब रेशमी शालों से है
दोस्ताना यार मेरा सिर्फ़ मतवालों से है

शायरी का शौक़ तो ताज़ा है लेकिन दोस्तो
सिलसिला तो हुस्नवालों से मिरा सालों से है

उड़ के जायेगा भला वो जंगली पंछी कहाँ
जिसकी सिरयानों <ref>धमनी</ref> में खुशबू आम की डालों से है

परकटे पंछी चमन में रेंगते से देखकर
जाने क्यों इक ख़ौफ़ सा हरदम तिरे बालों से है

हम के तज दें ज़िन्दगी तक उस परी पैकर के नाम
फिर भी उसको बैर सा हम चाहने वालों से है



शब्दार्थ
<references/>