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कटा के सर जे आपन देश के इज्जत बचवले बा / मनोज भावुक

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कटा के सर जे आपन देश के इज्जत बचवले बा
नमन वो पूत के जे दूध के कर्जा सधवले बा

बेकारी, भूख आ एह डिग्रियन के लाश के बोझा
जवानी में ही केतना लोग के बूढ़ा बनवले बा

कहीं तू भूल मत जइहऽ शहर के रंग में हमके
चले का बेर घर से ई केहू किरिया खियवले बा

सँभल के तू तनी केहू से करिहऽ प्यार ए 'भावुक'
जरतुआ लोग इहँवों हाथ में पत्थर उठवले बा