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कटोरी / रश्मि रेखा

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कटोरी भर चीज़े बचाने की कोशिश में
जुटी रही तमाम उम्र
अब इसका क्या किया जाय
कटोरी का काम रहा
भर-भर कर खाली हो जाना
चमचमाती थाल में परोसती रही व्यंजन
बची चीज़ो को सँभालती रही हिफाजत से
करती रही जतन से व्रत अनुष्ठान
सजाती रही रंगोली
बनाती रही अल्पना
हर सुबह शाम आँगन में धुलती रही कटोरिया

ज़रूरत के हिसाब से ढ़क्कन बनने को तैयार
कटोरियो में बचा होता है इतना साहस
कि खिला सके साँप को भी दूध के साथ धान का लावा

इतिहास में अपनी जगह बनाती
एक कटोरी सुजाता के खीर की भी है
जिसके बिना सिद्धार्थ को कहाँ मिल पाती है सिद्धि

बार-बार मांजी जाती है ये दूसरो के लिए
परिजनों के लिए मांगती है मन्नते
सोने-चांदी की बनी होती है
कौओं के लिए दूध-भात की कटोरी
जिन्हें कभी खुद नहीं मिल पाती दूध से भरी कटोरी
वे भी बुलाती रहती है चंदा मामा ओको

"राणाजी म्हाने बदनामी लगे मीठी
कोई निंदो,कोई विन्दो,मै चलूँगी चाल अपूठी'
कहने वाली मीरा को दिया राणा ने कटोरी भर विष

उन्हें कभी ज़रूरत नहीं पड़ती
शायद इसीलिये इतिहास में
कहीं नहीं है भीख की कटोरी

कटोरियों की हिकमत में
शामिल है जीने की जिद
तमाम जिल्ल्ल्तो के बीच भी
वे बना ही लेती है आखिर अपनी जगह