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कट गया दिन / रामचन्द्र ’चन्द्र भूषण’
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कट गया दिन
कट गया ।
शीर्षकों-उपशीर्षकों में
बेवजह मन बँट गया ।
बीज बंजर में
नए बोते गए
और अपने-आप में
कुछ और हम होते गए
हाथ के आगे
उँगलियों का तकाज़ा
घट गया ।
डायरी में लिखी
कुछ मजबूरियाँ
शब्द के जूठन निगोड़े
और कुछ नज़दीक वाली दूरियाँ
एक टुकड़ा भर गलीचा
सूँघता
चौखट गया !