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कट चुके खेत में / केदारनाथ अग्रवाल

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कट चुके पहले
सिर
और धड़
अब
पाँव-
सिर्फ पाँव
खेत में खड़े
कुछ नहीं जानते
कैसी क्या दुनिया है
कैसा क्या मौसम है
कैसा क्या साल है।

रचनाकाल: सितंबर १९६९