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कठिन जीवन / शंकरानंद

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पानी में गुन्धे हुए आटे का दिन
ख़त्म होता है
चूल्हे की तेज़ आग पर सीझने के बाद

नमी भाप की तरह उड़ जाती है
हासिल होती है पकने की तसल्ली

यह पूरी पृथ्वी कठिन जीवन का मानचित्र है
कोई विकल्प नहीं इस हौसले का

उठता हुआ धुआँ फैलता है तो
तमाशा देखते तमाम लोग
उम्मीद से भर जाते हैं

वे इत्मीनान से जीने वाले लोग हैं
जिन्हें पता है कि
पेट की आग
न जाने कितनों को राख बना देती है ।