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कठैई रैवै / सांवर दइया
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					सूरज सागै
संमदर महल में
रंज्योड़ी रात
देखती रैयी
भोर रै घरां जावतै
	सूरज नै
जोबन-गुमेज में डूबी
नचींती बा
सावळ जाणै
कठैई रैवै औ
पण
आथण हुवतां हुवतां 
आसी पाछो अठै ई 
और कठै ढोयी इण नै  !
	
	