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कड़ी धूप में बादल के एक टुकड़े के नीचे / नवल
Kavita Kosh से
कड़ी धूप में बादल के एक टुकड़े के नीचे
मैं उससे पहली बार मिला था
सड़क पर धूप चमक रही थी
धूप में उसके पाँव
मानो समन्दर की लहरों पर चल रहे थे
पत्तों से छन कर आती धूप की तरह
हम एक-दूसरे को देख लेते थे
धूप आसमान की बुलंदियों को छू रही थी
धूप समन्दर की सतह पर बिखरी हुई
और हम दोनों बर्फ़ ढके पहाड़ों की तरह थे
जेठ की धूप
उसके सिर पर बादल का टुकड़ा
किसी आने वाली बारिश की शुरूआत थी