कण-कण बटोरि: क्षण-क्षण सङोरि / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
बान्ह किसुनि बाबाक, मठो-मन्दिर बाबू - भैयाक
लोक - वेद हित कते कूप पोखरि मै´ा - दैयाक
बनही बड़ी पुबारि उतरबारी पोखरि बलुआहि
चभच्चाक चुभकब नहि बिसरी लगक गुडुकि गुडुकाहि
जोगिया मोनिक पानि अगम पछबारि मोनि-उछिलाहि
परती चन्ना - चनराहा चर - चाँचर सजल ओराहि
धरमगाछि नौलखा बाग - बगिचा लगिचा क घुमैत
कटि कटि उपटि ठुट्ठ सन रूपो एखनहु चुपो रुचैत
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देखल सुनल कते मन लेखल अपन दलाने बैसि
बिन्दुक अनुभव सिन्धुक संभव कल्पनाक बल पैसि
कतहु कथा पौराणिक माथा आल्ला रूदल रोल
खेल-कूद नट नृत, दसौन्ही बदी कवित किलोल
कीर्तन कथा व्यास पंडित केर प्रथा छात्र शास्त्रार्थ
खिस्सा नानी बाबी मुहसँ सुनलहुँ कते यथार्थ
राग सोहनी गति दु्रत हरमुनियम जानकी अमोल
विसुनदेव मिरदग, मदन - झपाल क तबला बोल
मङनक गायन, तान नचारिक, झुम्मक नाचहु डेब
भिड़हा - बलहा नाट्य मडली रस आद्यहु जयदेव
सारगी संगत मनाफ, करिअन कीर्तनियाँ नाच
चोपहरा भाली मनचुब्भी देशि विदेशियहु काछ
टोल टोलमे जमल अखाड़ा, कुश्ती दंगल द्वंद्व
घोड़दौड़हु, भिड़न्त भेड़क, दल यौद्धिक खेलहु बंद