भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कण / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


एक कण
आकाश से
आर्द्र नमी का
गिरा --
अटका रह गया
निस्तब्थ
पलक पर -
सामने चार कहार
चार -हताहतों
की लाश -
ढो रहे थे ...