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कतेक दुख सुनायब हे जननी / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कतेक दुख सुनायब हे जननी
कतेक दुख सुनायब
तंत्र-मंत्र एको नहि जानल
की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी
की कहि अहाँ के सुनायब
मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतिआयल
रखबनि संग लगाय हे जननी
कतेक दुख सुनायब
सूरदास अधम जग मूरख
तारा नाम तोहार हे जननी
दुर्गा नाम तोहार
कतेक दुख सुनायब