भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कथि के आसन कथि सिहासन / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
कथि के आसन कथि सिंहासन, कथि बैठल रघुनाथ, लागै अँग उबटन।
सोना के आसन, रूपा सिंहासन, चन्नन चौकी बैठल रघुनाथ॥1॥
कौने गाबै<ref>गाता है</ref> कौने बजाबै<ref>बजाता है</ref>, कौने सँभारे<ref>सँभालता है</ref> सिर केस।
राधा गाबै रुकमिनी बजाबै, बहिनी सँभारे सिर केस॥2॥
तेल सरिसब<ref>सरसों का</ref> सेॅ अँग उगारल<ref>चमकाना; साफ करना</ref> आँचर झिलिया<ref>उबटन लगाने पर शरीर से निकलने वाला मैल;, महीन वस्त्र</ref>, झाड़ि<ref>झाड़कर</ref>, लागै अँग उबटन॥3॥
शब्दार्थ
<references/>