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कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार / सूरदास

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कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार ।
बिबिध खिलौना भाँति के, गजमुक्ता चहुँधार ॥
जननी उबटि न्हवाइ के, क्रम सों लीन्हे गोद ।
पौढाए पट पालने, निरखि जननि मन मोद ॥
अति कोमल दिन सात के, अधर चरन कर लाल ।
सूर श्याम छबि अरुनता, निरखि हरष ब्रज बाल ॥