कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर / अमरेन्द्र
‘‘कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर, कनियाँय माय केॅ लै गेलै चोर
कनियाँय माय केॅ लै गेलै चोर, दौड़ोॅ हो शहर के लोग’’
‘‘बीरना माय कहिनेॅ कानै छोॅ, हमरोॅ कैहलोॅ नै मानै छोॅ
लै गेल चोरे तेॅ लै जाबै लेॅ दौ, आपनोॅ करनी केॅ पाबै लेॅ दौ
पिहनी केॅ साड़ी चमकौआ, तेल माथा में की महकौआ
टैम देखै लेॅ घड़ी लेलेॅ, बड़का बटुआ की लटकैलेॅ
देह उघारी केॅ ऐठ्ठै छेली, सबमेॅ अलगे छुट्टे छेली
आँख मेॅ काजर डाली केॅ सेथरोॅ, फसली जाल मेॅ लेलकी केकरोॅ
फैसन-पाटी सजबोॅ है रं, माय गे माय की फाटबोॅ है रं
माथा पर नै अँचरा जरियो, ठिक्के ऐलै कलजुग घोर
कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर, कनियाँय माय केॅ लै गेलै चोर ।
‘‘बुतरू हेनोॅ की कानै छोॅ, सच केॅ तोहें की जानै छोॅ
बोलै छेली सब सेॅ मुस्की, सौंसे बस्ती मेॅ कनफुस्की
है रं हाँसबोॅ के की मानै, बड़का की, छोटकौं भी जानै
जन्नेॅ जा हुन्ने हल्ला छौं, बात दबाबोॅ तेॅ अच्छा छौं
कीचड़ में ढेला फेकला सेॅ की मिलतौ ई चिल्लैला सेॅ
दस ठो सुनतौं, हांसतौं नै की ? है उमिरोॅ पर बोलोॅ है की ?
है रं भोकरी केॅ की कानबोॅ, पोछोॅ नी आँखी के लोर
कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर, कनियाँय माय केॅलै गेलै चोर ।
‘‘कनियाँय माय केॅ चोर लै गेलौं, थोड़े टा अपजस नी भेलौं
हिन्नेॅ तेॅ गाँवोॅ केॅ सौंसे, लै गेलै मुखिया उल्टे धौंसै
देश गेलै लीडर के साथें, कानून कोर्ट-कचहरी हाथें
गेलै मास्टर साथैं सिक्छा, पुरजी लै केॅ होय छै परीक्छा
उल्टा-पुल्टा सब्भे भेलै, थाना घुसखोरी संग गेलै
सास-पुतोहू के झगड़ा में, घर गेलै, घरबैया गेलै
सगरो के एक्के खिस्सा छै, कानबा के कहतौं अच्छा छै
ई तेॅ अन्हरिया भोगै लेॅ लागतौं, लानलेॅ छेली घर में इंजोर
कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर, कनियाँय माय केॅ लै गेलै चोर ।
‘‘हुनका कन्नेॅ-कन्नेॅॅ खोजबा, कन्नेॅ दिनेॅ-राती रैहबा
शहरोॅ के सब चोर-उच्चका, देतौं हिन्नेॅ-हुन्नेॅ धक्का
चाट्ठोॅ पीछुवे-पीछू रहथौं, बिन्दु, राखी, हेमा, कैहथौं
चाल-चलन केकरो अच्छा नै, आबेॅ तेॅ बच्चो बच्चा नै
आपनोॅ कोय नै वहाँ पर होथौं, तोही कानबा कोय नै रोथौं
हमरोॅ कैहलोॅ मानोॅ, लौटोॅ, एत्तेॅ जी केॅ करोॅ नै छोटोॅ
है जे पुलिस छौं की समझै छौ, दुनियाँ केॅ तोंय की जानै छोॅ
झुट्ठे जेल तोहरा लै जैथौं, राखतौं वैठां भोरमभोर
कनियाँय-मनियाँय झिंगा-झोर, कनियाँय माय केॅ लै गेलै चोर ।’’