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कन्फैशन / माया मृग
Kavita Kosh से
हम दोनों को विरासत में मिली,
एक सी ईमानदारियां,
एक सी चालाकियां।
बरसों ढोते रहे हम,
अपने-अपने हिस्से की,
ईमानदारियां-चालाकियां।
आज हम दो नेक बन्दे,
एक वसीयत के दो उत्तराधिकारी
आमने-सामने बैठे,
हकीकतों को खोलने।
तुमने ईमानदारी से स्वीकार की
अपनी चालाकियां,
और मैंने बड़ी चालाकी से
स्वीकार की अपनी ईमानदारियां !