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कन्यादान गीत / 1 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
गुंडी वटली हारू मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
मांजरि कुतरि हारू मांगे नदान बेनो।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
सिरको पलंग हारू मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
डोबा पाड़ा हारू मांगे नदान बेनो।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
तागली ने हार मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
पागड़ि वनात हारू मांगे नदान बेनो।

- दहेज में वर-वधू क्या माँग रहे हैं? इस पर वधू पक्ष की ओर से यह गीत गाया जाता है।

- नासमझ बनी क्या-क्या दायजे मंे माँग रही है? उत्तर में गाते हैं घुण्डी-बटलोई माँग रही है। नासमझ बना दहेज में क्या-क्या माँग रहा है? उत्तर में अनचाही वस्तु भैंस व पाड़ा माँगने का बताया है। नासमझ बनी दहेज में क्या-क्या माँग रही है? उत्तर में तागली और हार बताया है। बना दहेज में क्या-क्या माँग रहा है? अब उत्तर में वाँछित वस्तु पगड़ी और बनात कहा गया है।