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कन्हाई ने प्यार किया / अज्ञेय

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कन्हाई ने प्यार किया कितनी गोपियों को कितनी बार।
पर उड़ेलते रहे अपना सारा दुलार
उस के रूप पर जिसे कभी पाया नहीं-
जो कभी हाथ आया नहीं।

कभी किसी प्रेयसी में उसी को पा लिया होता-
तो दुबारा किसी को प्यार क्यों किया होता?
कवि ने गीत लिखे नये-नये बार-बार,
पर उसी एक विषय को देता रहा विस्तार

जिसे कभी पूरा पकड़ पाया नहीं-
जो कभी किसी गीत में समाया नहीं।
किसी एक गीत में वह अँट गया दिखता
तो कवि दूसरा गीत ही क्यों लिखता?

नयी दिल्ली, अक्टूबर, 1968