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कन्हैया जो तेरी चौखट पे आया / रंजना वर्मा

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कन्हैया जो तेरी चौखट पर आया ।
उसी ने है दरश-उपहार पाया।।

फिरी वृंदा विपिन की कुंज गलियाँ
दिखा हर ओर तेरा अक्स छाया।।

लुभाती है सदा शुभ दृष्टि तेरी
इसी में विश्व सारा है समाया।।

चरणरज की ह्रदय में कामना है
नयन को मात्र तेरा दरश भाया।।

बजा दे बाँसुरी यमुना पुलिन पर
कभी था रास तू ने ही रचाया।।

तुझे हर चाव गोरस और दधि का
हृदय-नवनीत है हमने सजाया।।

बुहारूँ केश से नित राह तेरी
विकल मन ने तुझे कितना बुलाया।।