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कपट कंकरी से मत तोड़ो / गीत गुंजन / रंजना वर्मा
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स्नेह - सुधा से परिपूरित घट
कपट कंकरी से मत तोड़ो ..
है अमूल्य अति स्नेह परिष्कृत
कर मत देना इसे तिरस्कृत।
प्रेम भरी बस एक दृष्टि ही
जीवन को नित करे पुरस्कृत।
मत्सर द्वेष भरे इस जग में
अमर प्रेम का नाता जोड़ो।
स्नेह -सुधा से परिपूरित घट
कपट कंकरी से मत तोड़ो॥
दूध और पानी मछली जल
नीलांबर में बदली निर्मल।
है संबंध अटूट प्यार का
देश प्राण नाते सा निश्छल।
डगर स्नेह की सीधी साधी
इसको छल की ओर न मोड़ो।
स्नेह सुधा से परिपूरित घट
कपट कंकरी से मत तोड़ो॥
जीवन का सच झूठ न समझो
हृदय दान को लूट न समझो।
है सर्वस्व समर्पित जिस पर
अमित प्यार वह फूट न समझो।
झूठ नहीं बोलूँगी छोड़ो
अब मेरी उंगली न मरोड़ो।
स्नेह सुधा से परिपूरित घट
कपट कंकरी से मत तोड़ो॥