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कफ़्न पर आँसू गिराना छोड़ दे / सिराज फ़ैसल ख़ान
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कफ़्न पर आँसू गिराना छोड़ दे ।
बेवफा अब तो बहाना छोड़ दे ।
नींद पर वर्ना सितम ढाऊँगा मैं,
मान जा ख़्वाबोँ मेँ आना छोड़ दे ।
शौक़ ये बर्बाद कर देगा तुझे,
तितलियों के पर जलाना छोड़ दे ।
अपना क़द दुनिया की नज़रों में बढ़ा,
मुझको नज़रों से गिराना छोड़ दे ।
दर्द पाएगा बहुत रोएगा तू,
ख़त किताबों में छुपाना छोड़ दे ।
कोशिशें कर जीतने की मुझसे तू
ख़्वाब में मुझको हराना छोड़ दे ।
हसरतों से आसमाँ मत देख तू
उड़ना है तो आशियाना छोड़ दे ।
इश्क से परहेज़ है जिसको भी, वो
मीर-ओ-ग़ालिब घराना छोड़ दे ।
अपनी फितरत किसने छोड़ी है 'सिराज'
फूल कैसे मुस्कुराना छोड़ दे ।