कब, कहाँ लेकर उड़ी है बारहा / देवी नांगरानी
कब, कहाँ लेकर उड़ी है बारहा, पूछो ज़रा
तिनका तिनका आशियाने का हवा, पूछो ज़रा
बढ़ गये हैं रंजो-ग़म क्यों इस जहाँ में इस क़दर
बेअसर क्यों हो गई उनकी दुआ, पूछो ज़रा
हाथ उठाकर माँगते थे जो दुआएँ रात-दिन
उनको किस्मत से मिली कब-कब दग़ा, पूछो ज़रा
याद की शाखों के पंछी उड़ गए क्यों यक-ब-यक
क्या हुआ है हादसा कोई नया, पूछो ज़रा ?
हाथ की रेखा कभी क्या ये बता पाई हमें
क्या कभी बदला है क़िस्मत का लिखा, पूछो ज़रा
शोख़ियों के उनके वैसे तो बहुत चर्चे रहे
कान में फिर तितलियों ने क्या कहा, पूछो ज़रा
शानो-शौक़त में रहे जो उम्र भर, उनसे कभी
मुफ़लिसी का ज़ायका होता है क्या, पूछो ज़रा
दिल को जाने क्या समझकर तोड़ते ही वो रहे
क्या मिली उस ज़ुर्म की उनको सज़ा, पूछो ज़रा
कल किसी साज़िश में शामिल तो हुई ‘देवी’ न थी
आज क्यों फिर वार पीछे से हुआ, पूछो ज़रा