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कब कहां होता है मेरा आना-जाना ये तो पूछ / कुमार नयन

कब कहां होता है मेरा आना-जाना ये तो पूछ
किसके किसके है ख़यालों में ठिकाना ये तो पूछ।

दिलबरों की बात क्या रहने दे होगी फिर कभी
दुश्मनों ने हमको कितना दिल से माना ये तो पूछ।

हम न जीते हैं न जीतेंगे कभी लेकिन ज़रा
चाहता है क्यों कोई हमको हराना ये तो पूछ।

ये हमारी मुफ़लिसी का जश्न है इसको न देख
कैसे चलता है हमारा आबो-दाना ये तो पूछ।

कब तलक बदलेगा मुश्किल है बताना ये मगर
क्यों ज़रूरी है बदलना ये ज़माना ये तो पूछ।

जानते हैं ज़िन्दगी का राज़ हम अल्ला क़सम
दर्द क्या है इश्क़ का क्या है फ़साना ये तो पूछ।

हम ग़ज़ल क्यों कह रहे हैं ये नहीं हम जानते
किसको लेकिन चाहते हैं हम सुनना ये तो पूछ।