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कब तक चुप बैठें अब तो कुछ है बोलना / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
कब तक चुप बैठें अब तो कुछ है बोलना
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोलें ओ ढोलना
मर जाना था ये भेद नहीं था खोलना
ओ ढोलना… ओ ढोलना…
दो चार कदम पे तुम थे, दो चार कदम पे हम थे
दो चार कदम ये लेकिन, सौ मीलों से क्या कम थे
फिर उसपे कदम कदम पे दिल का डोलना
हाय डोलना… ओ ढोलना…
कब तक चुप बैठें अब तो कुछ है बोलना
लो जीत गए तुम हमसे, हम हार गए इस दिल से
आया है आज लबों पे ये प्यार बड़ी मुश्किल से
इस प्यार में हमको पागल ना कर छोड़ना
ना छोड़ना, ओ ढोलना
कब तक चुप बैठें अब तो कुछ है बोलना