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कब तक बैठे हाथ मलें / नासिर काज़मी

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कब तक बैठे हाथ मलें
चल साथी कहीं और चलें

अब किस धार पे बांधें नाव
अब ये तूफां कैसे टलें

अब ये मांगें कौन भरे
अब ये पौधे कैसे फलें

जुग जुग जियें मेरे साथी
जलने वाले और जलें

तुझको चैन मिले 'नासिर'
तेरे दुख गीतों में ढले।