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कब तक यों तोड़ोगे वादे / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
कल आना था आज न आये अब कहते कल आओगे।
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?
वो वादा ही अच्छा लगता
जो पूरा हो जाता है।
वो अच्छा लगता जो कहता
फिर करके दिखलाता है।
तुमने जो कुछ कहा उसे तुम कब करके दिखलाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?
वादा करना आसाँ है पर
उसे निभाना मुश्किल है।
कश्ती पर बैठना आसाँ
पार लगाना मुश्किल है।
मुझे बताओ मेरी कश्ती क्या तुम पार लगाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?
जो जी चाहे कर डालो पर
वादा कभी न करना।
वादे तो होते हैं वादे
उन पर यकीं न करना।
"वादों की दुनिया है झूठी" इसको कब झुठलाओगे?
कब तक यों तोड़ोगे वादे क्या तुम मुझे बताओगे?