कब होगा सपना
हम सबका अपना
दौड़ना दौड़ के लिए
या केवल भोग लिप्साओं की
पूर्ति के लिए
जो कभी खत्म नहीं होगी
एक इच्छा के बाद दूसरी महत्वाकांक्षा
कतार में है
कतार में और भी कई चीजें हैं
जिन्हें पूरा करने में लगा है
इंसान
पद, प्रतिष्ठा, कुर्सी, सत्ता
मकान, गरीबी, मुनाफा
महल बनाने या गिराने में
लगा देता है शक्ति, सामर्थ्य
और सब कुछ
देह से भी वस्तुएं प्राप्त करती हैं
कई महिलाएं
जो अपनी सोच से कहीं आगे है
यानी कुछ भी पाने के लिए
सर्वस्व दांव पर लगाने को
उतारू लोग
किसी भी हद तक जा सकते हैं
कुछ भी कर सकते हैं
यानी चिंतन से परे, मेहनत से दूर
वे एक दिन में होना चाहते हैं
भारती, मित्तल, अंबानी बंधु-सा
नहीं जानना चाहते कि
मेहनत किस चिड़िया का नाम है ?
अखबार कैसे छपता है
खबर कैसे आती है
मुआवजा कैसे मिलता है
कितना संघर्ष लालबहादुर ने किया था
या सत्याग्रह क्या था ?
उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं
केवल वे जानते-समझते हैं
नोटों की चमक
फैशन शो की दुनिया
लंबी-लंबी गाड़ियों के सपने
या ठुमके लगाते क्लबों में
अय्याश जीवन शैली
क्या ले पायेगी ? यह पीढ़ी
संवेदना, संघर्ष और स्नेह
इन सबसे इनका कोई सरोकार नहीं
नशे-धूम्रपान, शराब-वेश्यागमन के
चक्कर में पिसी ये पीढ़ी
छोड़ जायेगी
मात्र थोड़ी देर का विलाप
चंद खबरें
खुश होंगे परिवारजन रो-धोने
के बाद
चला गया, अच्छा है
बड़ा सताता था
थाने के चक्कर लगवाता था
हमें जी अस्पताल भी जाना पड़ा था,
कई बार
भारतीय बीमा की रकम पा
परिवारजन अब थोड़े संभले हैं
ऐसे ही होते हैं लोग
किसी भी शहर के
किसी भी प्रांत के
किसी भी देश के
कहीं कुछ रूकता नहीं
रूकेगा तो ठहर जाएगा जीवन
और जीवन कभी ठहरता नहीं
पानी के बहाव को रोककर देखो
सूर्योदय को रोककर देखो
जच्चा को रोककर देखो
जज़्बात होंगे तो लहर होंगी
लहर होंगी तो बात होगी
कृष्ण की मुरली पर
राधा यूं ही नहीं नाची थी
गोपियों ने कृष्ण की गलती
नहीं मानी थी
चाहे गलती कान्हा की थी
बेशक उसने मटकी तोड़ी थी
मक्खन खाया और खिलाया था
सपनों को साकार करना
चाहती है लड़की
साकार तो लड़के भी करना चाहते हैं
यूं ही सपने साकार नहीं होंगे
जो करते हैं मेहनत उन्हीं को
सफलता मिलती है
हर आदमी दे रहा है जीवन को
गति
हर सांस में छुपी है शक्ति
शक्ति में होती है समूची
धरातल की संवेदना
आशीष और भक्ति भावना
सही मन से की गई पूजा
कभी व्यर्थ नहीं जाती
क्योंकि आस्था अभी भी जीवित है
मेहनत से श्रद्धा से
बिगड़े काम संभल जाते हैं
रोगी स्वस्थ हो जाते हैं
मुराद पूरी हो जाती है
अगर बैठे रहे कि
नाव आएगी तो पार जाऊंगा
बस आएगी तो गांव जाऊंगा
रिक्शा मिला तो बाजार जाऊंगा
नाव आई नहीं
बस पहुंची नहीं
रिक्शा मिला नहीं
तो क्या हुआ ?
उठो बढ़ो, हिम्मत करो
शक्ति को समेटो, आगे बढ़ो
आगे बढ़ोगे तो समूची शक्ति
आपको उद्वेलित करेगी
आप मंजिल तक जरूर पहुंचोगे
लाख छुपा ले चमकी औलाद
की खबर
पेट चुगली कर देता है
लड़की चाहे बताए न बताए
लड़का भी पिता से शरमाए
अनुभवी पिता
समझदार माँ
सब जानते हैं मगर
खामोश रहते हैं
जो घर पहले चहकता था
सौम्या की बातों से
अब वहां पसरा है सन्नाटा
सन्नाटे को झेलती
ऐसी युवा महिलाएं
हर दिशा में है हर गली में है
कुछ की खबर आ पाती है
कुछ की नहीं
यही दस्तूर है
कुछ मजबूर है
अपनों से कुछ बेहद
करीबियों से
अखबार भरे पड़े है
क्या पढ़ें ?
हर रोज वहीं
अपहरण, बलात्कार
रोड रेज, मक्कारी
चालाकी...
कब आएगा वह दिन
जब साफ-सुथरा अखबार होगा
कहंी कुछ नहीं घटेगा
सौम्या विश्वनाथन काम से
घर पहुंच जाएगी
अस्पताल के गेट पर
जच्चा जन्म नहीं देगी
आपकी शिकायत पर
कार्रवाई होगी
आपकी किताब बिना
सिफारिश के छप जायेगी
आपको नौकरी
आपकी योग्यता से
मिल पायेगी ?
कब-कब होगा
यह सपना
हम सबका अपना!