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कभऊँ गाँव में आकें देखौ / महेश कटारे सुगम
Kavita Kosh से
कभऊँ<ref>कभी</ref> गांव में आकें देखौ
थोरे<ref>थोड़े</ref> दिना बिता कें देखौ
गाँवन वारीं दुःख तकलीफें
थोरी भौत उठा कें देखौ
रोटी है तिरकारी<ref>सब्जी</ref> नईंयाँ
रूखी-सूकी खाकेँ देखौ
एक मील सें हैण्डपम्प सें
पानी तनक<ref>थोड़ा</ref> ल्या कें देखौ
रात-रात भर तक फसलन में
पानी तनक बरा<ref>फैला</ref> कें देखौ
मौड़ा-मौड़ी खौं गाँवन में
भैया तनक पढ़ा कें देखौ
अस्पताल है आठ कोस पै
रोगी खौं लै जाकें देखौ
भोरई लोटा लै खेतन में
टट्टी करवे जाकें देखौ
बातें करवौ भौत कठन है
सुगम गाँव में आकें देखौ
शब्दार्थ
<references/>