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कभी-कभी तू मेरा साथ यूँ निभाया कर / सोनरूपा विशाल
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कभी-कभी तू मेरा साथ यूँ निभाया कर
कि अपने आप को कुछ देर भूल जाया कर
न छत पे चाँद टिकेगा न रात ठहरेगी
हरेक ख़्वाब को आँखों में मत सजाया कर
मैं चाहती हूँ कि हर रूप में तुझे देखूँ
कभी - कभी मेरी बातों से तंग आया कर
तेरी पसंद की ग़ज़लें मैं लिख तो दूँ लेकिन
ये शर्त है कि उन्हें ही तू गुनगुनाया कर
मैं कश्तियों की कहानी तुझे सुनाउंगी
तू साहिलों की कहानी मुझे सुनाया कर
मैं अपने आप से मिलने को भी तरस जाऊँ
मेरे वजूद में इतना भी मत समाया कर